Saturday 26 January 2019

समुन्दर

नीले समुन्दर का साया आँखों में भर के
तेरी प्यारी आँखों के समुन्दर में डूबने को जी चाहता है

मचलती लहरों की मस्ती दिल में भरके
तेरी बाँहों के झूले में झूलने को जी चाहता है

समुन्दर का खारा पानी मूहँ में भरके
तेरे होठों के अमृत की मिठास चखने को जी चाहता है

आ ना सजन, अपनी बाँहों में कस ले मुझे
आँखों में बसा ले मुझे, और
अपने होठों की मिठास, मेरे तन मन और आत्मा में भर दे

प्यासी हूँ तेरे प्यार की, कभी नहीं थकूँगी तेरे प्यार से
समुन्दर के रूबरू, आकाश की गोद में, पाताल की गहराईयों में....
कहीं भी तू बुलाये तो मैं आऊँगी
जनमों से तेरी दासी हूँ आ कर तुझमें ही समा जाऊँगी

Saturday 19 January 2019

मेरे बच्चे, प्यारे बच्चे

मेरे बच्चे, मेरे प्यारे,
तू मेरे जिस्म पर उगा हुआ
इक प्यारा सा नन्हा फूल...
क्या है तेरा मुझसे रिश्ता?
बस....एक लाल धागे का...
टूटने पर भी उतना ही सच्चा, उतना ही पक्का
जितना परमात्मा से आत्मा का रिश्ता.

तेरी मुस्कुराहटों से जागता है
मेरी सुबहों का लाल सूरज.
तेरी संतुष्टी में ढलता है
मेरी शामों का सुनहरी सूरज.
तेरी हिम्मतों से खिलता है
मेरी रातों का सफेद चंद्रमा.
तेरी खुशियों में झिलमिलाते हैं
मेरी रातों के चंचल तारे.

तेरा जीवन सफ़र है मेरी आकाशगंगा
जहाँ तेरी कामयाबी ...है मेरा स्वर्णिम मुकाम वहीँ
जहाँ तू नहीं...वो स्वर्ग हो कर भी मेरे लिए स्वर्ग नहीं.

तेरी हिम्मत की बताये रास्तों पर चल कर
उलझने की बजाये तूने अपना रास्ता खुद चुना.

मोती मिलेंगे तुझे...मेरे बच्चे...

बस जिन्दगी की सिप्पियाँ खुद ही खोल कर देखना होगा.
अंतहीन नीले आसमान की ऊंचाइयो में अकेले पंछी की तरह धीरज से उड़ना होगा.
अपनी रातों के रंगीन सपनों को खुली आँखों से हकीकत में उतारना होगा.
अपनी खामोशियों में मचलते शब्दों को चुन चुन कर गीतों से संवारना होगा.
अपनी राहों में परमात्मा की उंगली थामे बादलों के महलों में छुपे खज़ाने को खुद ही तलाशना होगा.

वेदों की सच्चाईओं का आशीर्वाद देती हूँ तुझे...

तेरी आँखों में हर पल सूरज की रोशनी जगमगाए
वायू देवता तेरे प्राणों में निरंतर बसें
वाणी में अग्नी सी साफ़ सच्चाई और
चंद्रमा की चांदनी सी मासूमियत तेरे दिल में बसे.

ओ परमात्मा ...
मेरे बच्चे के संकल्प मंगलमय कर दे
उसके रोम रोम में चिंतन की काबिलियत भर दे
मेरे बच्चे के मन में सच्चाई, शांती और मुहब्बत भर दे
मेरे बच्चे को अपना प्रिय जान उसका जीवन सुखमय कर दे
अपने रहमों करम की बारिश से मेरे बच्चे के घर में दाने भर दे.

Saturday 12 January 2019

करवाचौथ का त्यौहार

दुल्हन का सिंगार और किसी की आँखों में बसने का विचार
पूरा ही ना हो पाया...
और इस दिलो-जान से प्यारे दिन की वीरानी
मेरे रग रग में एक ठंडे लोहे की तरह उतर गयी.

मुझे भी विकल करती है उन कंगनों की झंकार
जिनसे मैंने अपनी उदास बाहें नहीं सजाई.
मुझे भी सताती हैं मेहंदी की वो लाल मदमाती लकीरें
जो मेरी आकांक्षित हथेलियों पर नहीं लहराईं.
मुझे भी आमन्त्रण देती है उन पायलों और बिछूओं की कसमसाहट
जो मेरे तन मन को कस के बाँध ही ना पाई.
मुझे भी श्राप देते हैं मेरी चिरंतन सूनी सेज के वो फूल
जिनके अंगारों में मैं एक तड़पती बिजली सी दहक ही ना पाई.

और फिर पल बीते....और फिर धीरे धीरे...
मै इक मचलती दरिया ना रह कर निपट सूनी मिटटी से भरी दरिया में परिवर्तित हो गयी
रस के सब धारे तो सूख गए पर....
मै अभी जिन्दा हूँ.......

इस मन का क्या करुँ?
कहाँ ले जाऊं?
कैसे दिलासा दूँ?
क्या बहाना बनाऊं?
इस मन की यंत्रणा किसे समझाऊँ?

जो हर वर्ष शोक मनाता है अपने टूटे दिल का,
जो अब किसी तरह की उम्मीद भी नहीं रखता.
जो अब किसी बंधन में बंधने को भी नहीं तरसता,
जो अब चाहता है तो सिर्फ परमात्मा से आत्मा के मिलन का रिश्ता.

जो बस अब यही चाहता है कि..
जो बदल ना पाया उसे सहने की हिम्मत जुटा ले
जो विरह के दुःख मिले उन्हें अपने आँचल में छुपा ले
और चुप चाप रो ले,..आँसू बहा ले....

कुछ ऐसे आँसू जो बहें तो शर्मिन्दगी ना महसूस हो
कुछ ऐसे आँसू जो बहें तो दिल को दिलासा दें
कुछ ऐसे आँसू जो बहें तो मन को राहत दें
कुछ ऐसे आँसू जो बहें तो आत्मा को निखार दें
कुछ ऐसे आँसू जो बहें तो अगले जनम का आईना निखार दें

जिस आइने में मैं फिर से खुद को देखूं ...ऐसे कि....

फिर एक रंग बिरंगी पंखों वाली तितली
जो इन्द्र धनुष तक उड़ सकने की क्षमता रखे
फिर एक मचलती खिलखिलाती दरिया
जो इस बंजर धरती को अपने रस से उबार दे
फिर एक सोलह श्रृंगार युत दुल्हन
पहने सिंदूर, पायल, बिछिया, कंगन, और
अपने साँवरे की सेज गुंजार दे

Saturday 5 January 2019

मेरी रूह - मेरा वादा

मेरी नज़रों ने वायदा किया है मेरी रूह से
कि सनम तेरे सिवा कुछ ना देखेंगी
तू ये जानता है ना कि मेरी रूह तू है?

मैं शायद खुदा की बनायी पहली और अकेली औरत हूँ
जो अपने जिस्म के टुकड़े से ज्यादा प्यार अपने आदमी से करती है
क्योंकि जिस्म के सब टुकड़े भी तो तूने दिए हैं
क्योंकि मेरी जिन्दगी की ये पवित्र खुशी भी तो तूने दी है
क्योंकि इस मन को बेइंतहा सहारा भी तो तूने दिया है
क्योंकि मुझ नाचीज़ को आसमान पर उड़ना भी तो तूने सिखाया है.

तू इतना जान ले हमदम की तेरे बिना मैं कुछ भी नहीं
कि मेरी ख़ुशी मेरी जिन्दगी तू है
कि तेरे बिना जिन्दगी जिन्दगी ही नहीं
मेरी रूह ने वादा किया है मेरे खुदा से कि सनम
अगर तुझसे हुई जुदा तो तड़प के मर जायेगी
रूहों का सफ़र कभी फनां नहीं होता, पर
मेरी रूह तेरे बिना ना जी पायेगी...

बहुत डरती हूँ की कभी इस हालत पर ना पहुंचूँ कि
तुझसे चाहूँ तो बात ना कर सकूँ.
चाहूँ तो तुझे देख ना सकूँ.
तेरी पुरसुकूँन आवाज का मीठा अमृत अपने दिलो दिमाग में
ना महसूस कर सकूँ.
ऐसा तो हो नहीं सकता, सिवाय तब की जब
तू मुझसे जुदा हो गया हो और मौत के अंधेरों में खो गया हो
क्योंकि ये तो हो नहीं सकता कि जीते जी तू मुझसे रूठ गया हो.

मेरे होते तू मर नहीं सकता
क्योंकि मेरी जिन्दगी तू है, गर मै हूँ जिन्दा
तो फिर तू भी यहीं कहीं है.

मेरी हंसी खुशी सब तू ही है
मेरी जान...मै जीना चाहती हूँ, हँसना चाहती हूँ
क्या मेरी खातिर रहेगा तू हमेशाँ जिन्दा?
क्या मेरी खातिर रहेगा तू हमेशाँ मेरा दिलबर?
क्या मेरी खातिर रहेगा यही तेरे ख्यालों का असर?

दिल चाहता है कि खुदा से और तुझसे एक वादा ले लूं..
कि देखेंगी मेरी आँखें तुझे ही
जब तक मेरी आँखों में देखने की हिम्मत है
कि सुनूँगी तेरी आवाज़ जब तक जिंदा हूँ
कि तेरी गैर मौजूदगी का एहसास ना हो
कि कभी मजबूर ना होऊँ तेरी दूरी से
कि सोऊँ जब चिरनिद्रा में तो
रूह में, आँखों में समा कर तुझे...
कि जाऊं मैं तुझे छोड़ कर, ना कि तू मुझे.
तुझसे जुदा मैं कभी हो नहीं सकती, बस
मेरी मौत है तेरी दूरी मेरे लिये..

तू ना होगा तो किस को इस पागलपन से चाहूंगी?
तू ना होगा तो किस से इस पागलपन से लडूंगी?
तू ना होगा तो किस से इस पागलपन से प्यार कर सकूंगी?
तू ना होगा तो कौन दिखायेगा मुझे इस धरती पर स्वर्ग?
तू ना हो तो कौन मुझे पलकों पर बिठाएगा?
तू ना होगा तो कौन मुझे जिन्दा रखेगा?

तू रह जिन्दा सनम ताकि मैं जी सकूँ
तू रह शादाब ताकि मैं हंस सकूँ
तू रह ताकि मेरी आस पास तेरे वजूद की खुशबू रहे
तू रह इस दुनिया में ताकि ये दुनिया रहने के काबिल रहे
तू चल ताकि तेरे साए की छावं में, मैं शांती से सफ़र कर सकूँ
तू रह आबाद ताकि मैं बस सकूँ
बस तू ही तू है, इस जिन्दगी में, रूह में, सफ़र में,
तू रह मेरी आस पास ताकि मैं हँसते हँसते मर सकूँ.

बहुत खुश हूँ मैं कि जिन्दगी ने मुझे अधूरा नहीं लौटाया
एहसान है तेरा की मुझे प्यार में जीना आया
कद्रदान हूँ तेरी कि अपनी कोख में तुझे समाया
शुक्रगुज़ार हूँ तेरी कि खुदा की जांनिब तुझे पाया
दौलतवार हूँ कि तेरी छाहँ का आशियाँ पाया.

मेरे प्यारे, परम पिता के बनाये आदमी, तू इतना प्यारा क्यों है?
तू इतना दिल को समझने वाला हमसाया क्यों है?
तेरे जनमदाता में जरूर कुछ होगा कि तू एक चीज़ है
कभी सोचती हूँ... उस वृक्ष को भी चाहती हूँ मैं जिसका तू बीज है.